This site is created to raise fund to support Localization of Linux Desktop in Chhattisgarhi Language.
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As KDE 4.2 stands 90+% translated, the initial goal had been achieved. Thanks to all & almighty. some more screenshots and details at - http://raviratlami.blogspot.com/2009/02/blog-post_16.html
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मेरी बातों का बुरा मत मानियेगा, पर मुझे आप का यह सुझाव बिल्कुल भी पसन्द नहीं आया.
मैं भी छ्त्तीसगढ में पला बढा हूँ, और शायद आप से ज्यादा ही इस जगह से प्यार करता हूँ.
मुझे छ्त्तीसगढिया भी बहुत अच्छी तरह से आती है. "मोला छ्त्तीसगढिया आथे गा ..."
पर सच तो यही है की क्षेत्रीय भाषायें भारत को बांटने के अलावा और कुछ नहीं करतीं.
ऐसा कौन होगा छ्त्तीगढ में, जो हिन्दी पढना अथवा बोलना नहीं जानता होगा.
सच तो यह है की अभी लोगों को हिन्दी में इंटरनेट पर नहीं के बराबर सामग्री मिलती है.
हिन्दी, जो देश की राष्ट्रीय भाषा है, उसमे काम करने की जगह लोग अपने क्षेत्रीय भाषाओं की और दौङने लग जाते हैं.
मैं इतने कङवे वचन इस लिये बोल रहा हूँ क्यों की मैं भी आप ही की तरह छ्त्तीसगढिया बोल लेता हूँ, और मुझे भी मालूम है की छ्त्तीसगढ के लोगों की जरूरत क्या है.
इस समय लोगों को अपनी ताकत क्षेत्रीय भाषाओं पर व्यर्थ करने की जगह हिन्दी पर ही अपना ध्यान लगाना चाहिये.
और अगर हम शायद लगें रहें तो शायद इंटरनेट पर हिन्दी फल फूल सके ...
टैक्नोक्रेट, सॉफ़्टवेयर स्थानीयकरण विशेषज्ञ, संपादक, लेखक। >
हिंदी कंप्यूटिंग को लोकप्रिय बनाने में जीवटता से संलग्न, 20+ वर्ष का प्रशासकीय/प्रबंधन/तकनीकी अनुभव, हिंदी में तकनीकी/साहित्य लेखन व संपादन तथा कंप्यूटरों, आईटी के हिंदी व छत्तीसगढ़ी भाषा में स्थानीयकरण / शिक्षण- प्रशिक्षण में सक्रिय भूमिका. हिंदी लिनक्स आपरेटिंग सिस्टम के प्रारंभिक रिलीज में महत्वपूर्ण भूमिका. 1000+ कंप्यूटिंग अनुप्रयोगों का हिंदी में स्थानीयकरण. अधिकतर कार्य मुक्त स्रोत के तहत, निःशुल्क, मानसेवी आधार पर. छत्तीसगढ़ी लिनक्स तथा छत्तीसगढ़ी विंडोज एप्लीकेशन सूट निर्माण में एकल-प्रमुख भूमिका.
पिछले कई वर्षों से नियमित रूप से हिंदी में तकनीकी/हास्य-व्यंग्य ब्लॉग लेखन, आनलाइन पत्रिका रचनाकार.आर्ग का संपादन तथा हिंदी की सर्वाधिक समृद्ध आनलाइन वर्गपहेली का सृजन.
रविशंकर जी,
ReplyDeleteमेरी बातों का बुरा मत मानियेगा, पर मुझे आप का यह सुझाव बिल्कुल भी पसन्द नहीं आया.
मैं भी छ्त्तीसगढ में पला बढा हूँ, और शायद आप से ज्यादा ही इस जगह से प्यार करता हूँ.
मुझे छ्त्तीसगढिया भी बहुत अच्छी तरह से आती है. "मोला छ्त्तीसगढिया आथे गा ..."
पर सच तो यही है की क्षेत्रीय भाषायें भारत को बांटने के अलावा और कुछ नहीं करतीं.
ऐसा कौन होगा छ्त्तीगढ में, जो हिन्दी पढना अथवा बोलना नहीं जानता होगा.
सच तो यह है की अभी लोगों को हिन्दी में इंटरनेट पर नहीं के बराबर सामग्री मिलती है.
हिन्दी, जो देश की राष्ट्रीय भाषा है, उसमे काम करने की जगह लोग अपने क्षेत्रीय भाषाओं की और दौङने लग जाते हैं.
मैं इतने कङवे वचन इस लिये बोल रहा हूँ क्यों की मैं भी आप ही की तरह छ्त्तीसगढिया बोल लेता हूँ, और मुझे भी मालूम है की छ्त्तीसगढ के लोगों की जरूरत क्या है.
इस समय लोगों को अपनी ताकत क्षेत्रीय भाषाओं पर व्यर्थ करने की जगह हिन्दी पर ही अपना ध्यान लगाना चाहिये.
और अगर हम शायद लगें रहें तो शायद इंटरनेट पर हिन्दी फल फूल सके ...